रेलवे टिकिट की भांति अब मोबाइल पर घर बैठे खनिज रायल्टी
अब रेत परिवहनकर्ताओं और ट्रक चालकों को मेन्यूअल रायल्टी पर्ची कटवाने, खदानों पर अपने भराई नंबर का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। न ही किसी अधिकारी-कर्मचारी को भेंटपूजा देनी पड़ेगी। ई- रेलवे टिकिट की भांति ही अब मोबाइल पर घर बैठे खनिज रायल्टी अनुमति मिलेगी। इसकी पर्ची का प्रिंट भी लिया जा सकेगा। इसके लिए 1 जनवरी से इलेक्ट्रानिक ट्रांजिट पास (ई-टीपी) मोबाइल से एसएमएस के जरिए जारी किए जाएंगे। रायल्टी शुल्क का भुगतान भी नगद की बजाए कैशलेस होगा। वाहन चालक, परिवहनकर्ता आरटीजीएस के माध्यम से रेत ठेकेदार को रायल्टी शुल्क राशि का भुगतान कर सकेगा। जिला खनिज विभाग को अपडेट कर डिजिटल ऑनलाइन किया जा रहा है। इस नए सिस्टम की तैयारियां जारी है।
1 जनवरी से जारी होगी ई-रायल्टी
खनिज विभाग के अधिकारी ने बताया कि खनिज परिवहन करने वाले वाहनों में ई-रायल्टी जारी होगी। इसका प्रशिक्षण विगत दिनों खनिज शाखा में जिले के रेत ठेकेदारों एवं अधिकारियों-कर्मचारियों को दिया गया है।
बिना पंजीयन वालों को रायल्टी नहीं
जिन वाहनों का खनिज शाखा एवं आरटीओ से ई-खनिज नाम से पंजीयन होगा, उन्हीं वाहनों को ही रायल्टी जारी होगी। जिनका पंजीयन नहीं है, उन्हें रायल्टी की अनुमति जारी नहीं की जाएगी।
विभाग के कॉल सेंटर से होगी मॉनीटरिंग
ई-टीपी की संपूर्ण प्रक्रिया की मॉनीटरिंग जिला खनिज विभाग अपने कॉल सेंटर के माध्यम से करेगा। इसमें वाहनों की क्षमता अनुसार या वाहन के क्षमता से अधिक मात्रा में खनिज परिवहन करने या न करने का भी ऑप्शन दिया गया है। यदि किसी वाहन चालक व्दारा क्षमता से अधिक खनिज परिवहन करने की अपनी सहमति दी जाती है तो पट्टेदार-ठेकेदार अधिक मात्रा की ई-टीपी भी जारी कर सकेगा।
यह रहेंगे ई-टीपी सिस्टम के फायदे
अभी तक पुराने मेन्युअल पैटर्न पर ही रायल्टी पर्ची काटी जाती है। जिसके आधार पर खनिज परिवहन होता है। इसमें तारीख, समय वाहनों के नंबर और दिनांक आदि में ओवर राइटिंग होती है। इससे रेत ठेकेदार और परिवहनकर्ता वाहन चालक के बीच विवाद होता है। यह विवाद ई-टीपी से समाप्त हो जाएगा। इस ऑनलाइन प्रक्रिया से खनिज के अवैध परिवहन एवं दलाली भी रूक सकेगी।