Sher, Chuha, Bhediya, Lomdi aur Saras ki Hindi Kahaniya

1. शेर और चूहे की कहानी

एक बार एक शेर जंगल में सो रहा था। तभी एक चूहा मस्ती के लिए उसके शरीर पर ऊपर-नीचे कूदने लगा। इससे शेर की नींद में खलल पड़ा और वह काफी गुस्से में जाग उठा। 

वह चूहे को खाने ही वाला था कि चूहे ने शेर से उसे छोड़ने के लिए निवेदन किया और कहा कि "मैं तुमसे वादा करता हूँ, अगर तुम मुझे बचाओगे तो मैं तुम्हारी बहुत मदद करूँगा।" शेर चूहे की बात पर हँसा और उसे जाने दिया।

एक दिन कुछ शिकारी जंगल में आए और शेर को अपने साथ ले गए। उन्होंने उसे एक पेड़ से बांध दिया। शेर शिकारी के जाल से छूटने के लिए तड़प रहा था और जोर-जोर से दहाड़ रहा था।

तभी चूहे ने शेर की पुकार सुनी और जल्द ही, चूहा आ गया। उसने शेर को मुसीबत में देखा। उसने शेर को छुड़ाने के लिए रस्सियों को कुतर दिया। फिर दोनों जंगल में दूर भाग गये।

कहानी का सार

दयालुता का एक छोटा सा कार्य भी भविष्य में बहुत काम आ सकता है।


2. झूठ बोलना पाप है कहानी

एक गाँव में, एक लापरवाह लड़का अपने पिता के साथ रहता था। लड़के के पिता ने उसे बताया कि वह इतना बूढ़ा हो गया है कि जब भेड़ें खेतों में चरती हैं तो उनकी देखभाल नहीं कर सकता है। 

हर दिन, उसे भेड़ों को घास के मैदानों में ले जाना पड़ता था और उन्हें चरते हुए देखना पड़ता था। तो उसने अपने लड़के से कहा कि वह उसकी भेड़ों को चराए। हालाँकि, लड़का नाखुश था और भेड़ों को खेतों में नहीं ले जाना चाहता था। 

वह दौड़ना और खेलना चाहता था, न कि उबाऊ भेड़ों को खेत में चरते हुए देखना चाहता था। तो, उसने कुछ मजाक करने का फैसला किया। 

वह चिल्लाया, "भेड़िया! भेड़िया!" जब तक पूरा गांव भेड़िये को भगाने के लिए पत्थरों के साथ दौड़ता हुआ नहीं आया, इससे पहले कि भेड़िया किसी भेड़ को खा सके। 

जब ग्रामीणों ने देखा कि कोई भेड़िया नहीं है, तो वे मन ही मन बड़बड़ाते हुए निकल गए, कि लड़के ने उनका समय कैसे बर्बाद किया। 

अगले दिन, लड़का एक बार फिर चिल्लाया, "भेड़िया! भेड़िया!" और, फिर से, ग्रामीण भेड़िये को भगाने के लिए दौड़ पड़े। लड़के ने जो डर पैदा किया था, उस पर वह हँसा। इस बार ग्रामीण आक्रोशित होकर चले गए। 

तीसरे दिन, जैसे ही लड़का छोटी पहाड़ी पर गया, उसने अचानक एक भेड़िये को अपनी भेड़ों पर हमला करते देखा। वह जितना जोर से चिल्ला सकता था, चिल्लाया, "भेड़िया! भेड़िया! भेड़िया!", लेकिन एक भी ग्रामीण उसकी मदद के लिए नहीं आया। 

ग्रामीणों ने सोचा कि वह उन्हें फिर से मूर्ख बनाने की कोशिश कर रहा है और उसे या उसकी भेड़ों को बचाने नहीं आया। उस छोटे लड़के ने अपनी मूर्खता के कारण उस दिन बहुत सी भेड़ें खो दीं।

कहानी का सार

झूठ बोलने वालों पर भरोसा करना मुश्किल होता है, इसलिए हमेशा सच्चा रहना जरूरी है।


3. लोमड़ी और सारस की कहानी

एक दिन, एक स्वार्थी लोमड़ी ने एक सारस को रात के खाने के लिए आमंत्रित किया। सारस निमंत्रण से बहुत खुश हुआ। वह समय पर लोमड़ी के घर पहुँचा और अपनी लंबी चोंच से दरवाजा खटखटाया। लोमड़ी उसे खाने की मेज पर ले गई और उन दोनों के लिए उथले कटोरे में कुछ सूप परोसा। 

चूंकि कटोरा सारस के लिए बहुत उथला था, इसलिए वह सूप बिल्कुल नहीं पी सकता था। लेकिन लोमड़ी ने जल्दी से अपना सूप चट कर दिया।

सारस गुस्से में और परेशान था, लेकिन उसने अपना गुस्सा नहीं दिखाया और विनम्रता से व्यवहार किया। लोमड़ी को सबक सिखाने के लिए, उसने फिर उसे अगले दिन रात के खाने पर आमंत्रित किया। उसने भी सूप परोसा, लेकिन इस बार सूप को दो लंबे संकरे फूलदानों में परोसा गया। 

सारस ने अपने फूलदान से सूप को खा लिया, लेकिन लोमड़ी अपनी संकीर्ण गर्दन के कारण उसमें से कुछ भी नहीं पी सकी। लोमड़ी को अपनी गलती का एहसास हुआ और वह भूखा घर चला गया।

कहानी का सार

एक स्वार्थपूर्ण कार्य तुरन्त अथवा बाद में उलटा पड़ जाता है।